अमृत सागर एक स्वतंत्र दार्शनिक एवं आध्यात्मिक विचारक हैं, जिन्होंने "God Point" जैसी मौलिक और गूढ़ थ्योरी का प्रतिपादन किया है — जो अस्तित्व और अनस्तित्व के रहस्य को एक अद्वितीय दृष्टिकोण से व्याख्यायित करती है। यह सिद्धांत न केवल वैदांतिक सोच को चुनौती देता है, बल्कि भौतिक विज्ञान, चेतना और आत्म-परिकल्पना की सीमाओं को भी पुनः परिभाषित करता है। उनका यह सिद्धांत एक पुस्तक के रूप में Amazon Kindle पर प्रकाशित हो चुका है।
अमृत सागर केवल आध्यात्मिक या दार्शनिक सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। वे एक जागरूक और संवेदनशील सामाजिक-राजनीतिक विचारक भी हैं, जो भारतीय भाषाओं, सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर मुखर रहते हैं। उन्होंने "इंग्लिज़्म" जैसे नए शब्दों का निर्माण किया है — जो भारत में अंग्रेज़ी भाषा और मानसिकता के वर्चस्व को दर्शाने वाला एक विचारधारात्मक उपकरण बन चुका है।
उनकी दृष्टि केवल आलोचना तक सीमित नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में स्पष्ट है — भाषा के आधुनिकीकरण, शिक्षा सुधार और सांस्कृतिक आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना उनका लक्ष्य है। वे भारत को नकल से नहीं, मौलिकता से आधुनिक बनाना चाहते हैं।
"भारत को फिर से भारत बनाना" — यही उनका संकल्प है। उनके विचार, लेख और आंदोलन एक नवजागरण की भूमिका निभा रहे हैं।